एक कलाकार के नाते मैं भी ये मानती हूं कि कई गीत, कई धुनें ऐसी होती हैं कि हर कलाकार को लगता है कि काश इसे गाने का मौक़ा हमें मिलता। ऐसा लगना भी स्वाभाविक है। परंतु, गीत को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत करना यह सरासर गलत बात है। और सुना है कि ऐसा ही आज हो रहा है। और मूल रचयिता के बदले और किसी का नाम दिया जाता है जो अत्यंत अयोग्य है।
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